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त्रियुगी नारायण यात्रा

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                  त्रियुगी नारायण जी की यात्रा  त्रियुगी नारायण जी की यात्रा के बारे में बहुत अधिक लोग नही जानते हैं पर जो जानते है वो इस जगह और इस यात्रा के महत्व से भली-भाँति परिचित है अभी तक कम ही जाने जानी वाली ये जगह अचानक तब मिडिया की सुर्खियों में आ गई जब अफ्रीका में हीरों के बडे व्यवसायी गुप्ता बंधुओं ने शादी के लिए त्रियुगी नारायण जी में शादी के लिए वहाँ के प्रशासन से अनुमति माँगी ।जोकि एक हाई प्रोफाइल शादी होने की वजह से बहुत सारे वी आइ पी लोग और विदेशी मेहमानों के इस में शामिल होने, उनके रूकने और कम जगह और  सुरक्षा व अन्य कारणों के चलते बाद औली में सम्पन्न  करायी गयी । त्रियुगी नारायण जी रात दिन इस शादी के समापन तक मीडिया की सुर्खियाँ बटोरता रहा ।पहली बार शायद इतनी बडी संख्या में लोगों को पता चला कि त्रियुगी नारायण ही वो जगह है जहाँ पर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह रचाया था । और इसी वजह से इस जगह की महत्ता और पवित्रता को ध्यान मे रखते हुए गुप्ता बंधु भी अपने बच्चों की शादी यहाँ करना चाहते थे ताकि भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भी बच्चों को विवाह के साथ ही म

Gangotri गंगोत्री

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गंगोत्री यात्रा  Suraj with me In Gangotri                सूरज नीली टी शर्ट में के साथ गंगोत्री में जिसको को भी ये घुमने का वायरस लग गया ना फिर उसको ना गाड़ी चाहिए ना बंगला ना धन और दौलत वो तो फकीर हो जाता है जैसे फकीर को एक ही प्यास होती है वैसे ही घुमक्कड़ो की भी एक ही प्यास होती है एक नयी जगह या नया नजारा जो कि पहले देखे हुए नजारे से भी ज्यादा  सुन्दर और अदभुत हो बस यही चीज़ें उसे कस्तूरी मृग बना देती है जो उसे एक जगह टिकने नहीं देती ।बस हमारा हाल भी कुछ ऐसा ही है जब से मसूरी यात्रा से आते वक़्त ऋषिकेश बस अडडे पर मिले दिल्ली के कुछ लड़को से उत्तराखंड के चार धामों के बारे में सुना है तब से बस दिमाग की दही ये सोच-सोच कर हो गई कि इनमें सबसे सुन्दर जगह कौन सी होगी (मेरी हरिद्वार मसूरी यात्रा को पढने के लिए ब्लाग के अंत में दिए गए लिंक पर क्लिक करें )                                जब इस बार हम दो लोगों की संसद में पहले किस जगह घूमा जाए का प्रस्ताव पहले की तरह 2-0 के पूर्ण बहुमत से पास नहीं हो सका तो निर्णय लिया गया कि हरिद्वार ऋषिकेश जाकर पहले पता करेगें कि कौन सी जगह ज्याद

हरिद्वार मसूरी की यात्रा

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हरिद्वार मसूरी की यात्रा  कैम्पटी फाल, मसूरी   अपनी अल्मोड़ा उत्तराखंड की पहली यात्रा के दौरान ही मुझे व मेरे दोस्त मननु को घुममकडी का वायरस लग चुका था हरे भरे जंगल, बर्फ से ढके हुए पहाड,चीड के पेड़ों की खुशबू, और मस्त बल खाती नदियों ने रातों की नींद उड़ा दी थी और तो और अब तो सपने भी पहाड़ों मे घूमने के ही आने लगे थे हिमालय का अदभुत आकर्षण हमें बार-बार अपनी और खीचने लगा था और हम जब भी मिलते तो बस सारी बातें घूमने पर ही केन्द्रित होती और अंत में घूमने के लिए पैसों का इंतजाम कैसे हो इस एक ही बात पर आकर खत्म हो जाती । नित नयी-नयी योजनाएं बनती और खत्म होती रहती । हम बस एक ही धुन मे रहते की कही से बस पैसों का जुगाड़ हो जाए तो हम फट से घूमने भाग जाएँ । हमने अपने  अन्य खर्च कम कर करने शुरू कर दिए और घूमने के लिए पैसा इकट्ठा करना शुरू कर दिया फिर एक दिन हमारी मंजिल हमें मिल ही गयी और हमारे इस बजट में जो हम दो लोगों ने अपनी संसद में बैठ कर पास किया था केवल हरिद्वार की यात्रा ही की जा सकती है  , या ज्यादा से ज्यादा मसूरी के आसपास ही घूमा जा सकता था कयोंकि हमारे घर से सबसे ज्यादा नज

अल्मोड़ा उत्तराखंड की यात्रा

आज हर इंसान भटक रहा है कोई जानबूझ कर तो कोई अनजाने में, ये यात्रा एक ऐसे भटकते इंसान  की है जो हमें भारत के एक राज्य उत्तराखंड के अलमोड़ा शहर , के पास जंगल में भटकता हुआ मिला था और जो कि एक अंग्रेज था और घूमने  भारत आया हुआ था                        घूमने और घुमक्कड़ी का शौक तो मुझे भी बचपन से  ही है ये मेरी उत्तराखंड की दूसरी यात्रा थी हमने जल्दी से अपने बैग पैक किये और दिल्ली के नजदीक गाजियाबाद से काठगोदाम के लिए ट्रेन पकड़ ली और सुबह जब हमारी आखें खुली तो भोर की हल्की सी रोशनी हो चुकी थी और ट्रेन हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पर खडी थी व चारों और से चाय ,गरम चाय की मधुर आवाजें आ रही थी हमने भी तीन चाय का आडॅर दिया और अभी चाय खत्म ही हुई थी कि ट्रेन लगभग रेंगते हुए अपने अंतिम स्टेशन काठगोदाम पर आ खडी हुई              दिल अचानक एक अनजान सी खुशी से भर उठा और ये खुशी थी अपने प्यारे पर्वतों को इक बार फिर से नजदीक से देखने की । हम अभी डिब्बे की खिड़की पर ही थे कि अचानक किसी ने हमारे बैग पकडते हुए पूछा कहा जाएंगे साहब जी---नेनीताल , रानीखेत, अलमोड़ा। स्टेशन से बाहर निकलते ही हमारे जेहन में आम